हनुमान मंत्र हिंदी में। 10 हनुमान मंत्र जाप। आसान मंत्रो का उच्चारण करके आप को मिलेगी हनुमान जी की कृपा। Hanuman Mantra Videos, Images and text free download. Power Hanuman Mantra, 10 + Hanuman Mantras for all devotees of Lord Hanuman can be seen below .
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10 Hanuman Mantra (हनुमान मंत्र) Images for Free Download in Hindi
- ओम शान्ताय नमः।
- ओम शूराय नमः।
- ॐ प्रसन्नात्मने नम:
- ॐ मारुतात्मजाय नमः
- ऊं हं हनुमते नम:
- ॐ पिंगाक्षाय नमः
- ॐ मारकाय नमः
- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पंचवदनाय दक्षिण मुखे ,कराल बदनाय नारसिंहाय सकल भूत प्रेत दमनाय रामदूताय स्वाहा |
- ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा|
- ॐ मनोजवं मारुततुल्य वेगम् जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं, वातात्मजं वानर युथमुख्यं श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये ||
हनुमान जी के बारे में कुछ रोचक बातें -
- भगवान् हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ था और उन्होंने उसे बखूबी निभाया।
- क्या आप जानते हैं के हनुमान जी (Hanuman Ji) को बजरंगबली क्यों कहते हैं ? क्योंकि इनका शरीर एक वज्र की तरह था।
- कुछ ज्योतिषीयों के अनुसार हनुमान जी का जन्म आज से करीब 58 हजार 112 वर्ष पहले हुआ । लोकमान्यता की माने तो त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को – मंगलवार के दिन- चित्रा नक्षत्र एवं मेष लग्न के योग में प्रातः 6.03 बजे झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम पहाड़ी गाँव में हुआ था।
- एक प्रसंग अनुसार एक बार भगवान् हनुमान जी ने सीता मैया को एक बार सिन्दूर लगते हुए देखा। हनुमान जी ने पूछा के वे सिन्दूर क्यों लगा रही हैं ? सीता मैया ने कहा सिन्दूर वह अपने सुहाग श्री राम की ख़ुशी और उन्हें प्रसन्न करने के लिए लगाती हैं। हनुमान जी (Hanuman Ji) ने अपना समस्त शरीर सिन्दूर से रंग लिया और अपनी भावना से श्री राम का दिल जीत लिया। इसी लिए श्री हनुमानजी को सिन्दूर चढ़ाया जाता है।
- हनुमानजी भगवान् शिवजी के ११वें रुद्रावतार, एवं अत्यंत बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं।
- हनुमान जी को कलयुग में सिद्ध बताया गया है ।
- प्रभु हनुमान के और भी नाम हैं जैसे – आंजनेय और मारुति, मारुत-नंदन” (हवा का बेटा) भी हैं।
- रामायण के अनुसार हनुमान जी जानकी (माता सीता ) के भी अत्यधिक प्रिय हैं।
- हनुमान जी को अमृतवा का वरदान प्राप्त है।
- हिन्दू धर्म की मान्यताओं अनुसार एक दिन हनुमान जी की माता फल लाने के लिये इन्हें किसी आश्रम में छोड़कर चली गईं। जब शिशु हनुमान जी को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे खाने के लिए आकाश में उड़ने लगे। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज रक्षा प्रदान की । उसी समय राहु भी सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था। हनुमानजी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह वहाँ से भाग गया। राहु ने इन्द्र के पास जाकर शिकायत की। राहु की बात सुनकर इन्द्र उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े। राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे, फिर राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा- इंद्रा ने हनुमान जी पर वज्रा से प्रहार किया। वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई। हनुमान जी की यह दशा देख वायुदेव को अति क्रोध आया एवं उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दी जिस कारन संसार की कोई भी प्राणी साँस न ले पाया और तड़पने लगे। तब सारे सुर, असुर, यक्ष, किन्नर आदि ब्रह्मा जी की शरण में गये। ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये। वे मूर्छत हनुमान को गोद में लिये उदास बैठे थे। जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की। फिर ब्रह्माजी ने कहा कि कोई भी शस्त्र इसके अंग को हानि नहीं कर सकता। इन्द्र ने कहा कि इसका शरीर वज्र से भी कठोर होगा। सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया। वरुण ने कहा मेरे पाश और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा। यमदेव ने अवध्य और नीरोग रहने का आशीर्वाद दिया। यक्षराज कुबेर, विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये। रेफ
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हनुमान जी के मनपसंद प्रशाद -
(Hanuman Ji) हनुमान जी की अड़े प्रिय वस्तुएं ही उन्हें भेंट करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है के हनुमान जी को अगर श्रद्धा पूर्वक निम्न दी गयी वस्तुएं मंगलवार या शनिवार को अर्पित की जाएँ तो वह निश्चित ही प्रसन्न होते हैं –
- पान
- गुड़ चना
- इमरती
- मीठा रोट या रोटी
- केसर भात
- आम, अमरूद, केला आदि फलों का प्रसाद अर्पित करें।
इसके आलावा हनुमान जी को पूजा में जनेऊ एवं चोला भी चढ़ाया जाता है.
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